केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार पे पैनल सिस्टम को समाप्त करने और एक नया मैकेनिज्म अपनाने पर विचार कर रही है। इससे कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन में संशोधन करने का तरीका बदल सकता है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
7th Pay Commission का कार्यकाल खत्म होने वाला है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जनवरी 2016 से 7th Pay Commission की सिफारिशों को लागू किया था। इस पैनल का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को पूरा हो जाएगा, यानी यह 10 साल का कार्यकाल पूरा करेगा। इससे पहले, 4th, 5th, और 6th Pay Commissions का कार्यकाल भी 10 साल का था। इसके कारण, सरकारी कर्मचारी और उनके संघ लंबे समय से 8th Pay Commission की मांग कर रहे हैं। हालांकि, सरकार ने अब तक यह स्पष्ट किया है कि वेतन आयोग का कार्यकाल निश्चित नहीं होता, जबकि यह परंपरागत रूप से तय माना जाता है।
पे पैनल सिस्टम हटाने की योजना
सरकार ने 7th Pay Commission के बाद 8th Pay Commission बनाने के बजाय एक नया तरीका अपनाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, सरकार कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन और पेंशन को संशोधित करने के लिए पे पैनल सिस्टम को पूरी तरह से समाप्त करने की योजना बना रही है। इस नए मैकेनिज्म में कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को रिवाइज करने का तरीका बदल सकता है।
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Jio के प्लान में 100GB एक्सट्रा डेटा फ्री, 800 से ज्यादा टीवी चैनल और कई सारे OTT ऐप का भी मजाहाल ही में सरकार और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठकों में यह चर्चा की गई थी कि वेतन आयोगों के स्थान पर एक नया सिस्टम लागू किया जा सकता है। यह कदम सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए उठाया जा सकता है, जिससे वेतन और पेंशन की समीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और समयानुसार बनाया जा सके।
8th Pay Commission के गठन पर सरकार का रुख
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में यह स्पष्ट किया कि वर्तमान में 8th Pay Commission के गठन के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि समय सीमा का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि सरकार के पास इस समय 8वें वेतन आयोग को बनाने की कोई योजना नहीं है।
यह सरकार का स्पष्ट रुख है, जो कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक झटका हो सकता है। जब कर्मचारियों की उम्मीदें 8वें वेतन आयोग के गठन से जुड़ी थीं, तब सरकार ने साफ तौर पर कहा कि इस दिशा में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
कर्मचारियों के आंदोलन की संभावना
सरकार द्वारा 8th Pay Commission बनाने के इंकार के बाद, ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लॉइज़ फेडरेशन ने घोषणा की है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे 2025 में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। इस संघ ने सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को पुनः संशोधित करने के लिए कदम उठाए।
इसके साथ ही, नेशनल काउंसिल ज्वॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NCJCM) ने भी केंद्रीय कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर नए वेतन आयोग की “तत्काल” स्थापना की मांग की है। यह संगठन कर्मचारियों के हितों और उनकी मांगों को उठाता है और इसने सरकार से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 9 साल पूरे होने के बाद नए वेतन आयोग और पेंशन रिवीजन की मांग की है। इस संगठन ने मांग की है कि 1 जनवरी 2026 से नए वेतन आयोग और पेंशन संशोधन लागू किया जाए।
वेतन आयोग की भूमिका और महत्व
वेतन आयोग सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में संशोधन करने के लिए सिफारिशें करता है। यह आमतौर पर हर 10 साल में एक बार गठित होता है। वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में वृद्धि होती है, जो उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है। 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से कर्मचारियों को महत्वपूर्ण लाभ मिला था, लेकिन अब उनका ध्यान 8वें वेतन आयोग की ओर है।
कर्मचारियों के लिए भविष्य की उम्मीदें
सरकार द्वारा पे पैनल सिस्टम को समाप्त करने और नए मैकेनिज्म को अपनाने के फैसले से कर्मचारियों के मन में अनिश्चितता और चिंता बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार का यह कदम एक नई दिशा में हो सकता है, जिससे वेतन और पेंशन की समीक्षा प्रक्रिया को अधिक लचीला और समयानुकूल बनाया जा सके।
कर्मचारियों के संगठन और संघ इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं और वे लगातार सरकार से बातचीत कर रहे हैं ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके। आने वाले समय में कर्मचारियों को क्या नया तरीका मिलेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन उनकी मांगें और संघर्ष जारी रहेंगे।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण है। सरकार द्वारा 8th Pay Commission के गठन को लेकर जो संकेत मिल रहे हैं, वह निश्चित रूप से कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं। हालांकि, सरकार द्वारा नए मैकेनिज्म को अपनाने का विचार कर्मचारियों के हित में हो सकता है, लेकिन इसका सही असर तभी देखा जाएगा जब यह सिस्टम लागू होगा। कर्मचारियों की मांगों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आने वाले समय में और अधिक आंदोलनों और चर्चाओं की संभावना है।