Advertisement
Advertisements

लोन नहीं भरने वालों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, लोन लेने वाले जरूर जान लें अपडेट EMI Bounce

Advertisements

आज के समय में बढ़ती आर्थिक जरूरतों के कारण लोन लेना आम हो गया है। हालांकि, कई बार आर्थिक कठिनाइयों की वजह से लोग समय पर लोन की किस्तें नहीं चुका पाते। ऐसी स्थिति में बैंक कठोर कदम उठाते हैं, जिससे लोनधारकों पर भारी मानसिक दबाव बनता है। इसी संदर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जो लोनधारकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

लोन न चुकाने पर बैंक की सामान्य कार्रवाई
जब कोई व्यक्ति लोन लेता है, तो उसे समय पर तय किस्तें चुकानी होती हैं। यदि वह समय पर भुगतान नहीं कर पाता, तो बैंक द्वारा उठाए जाने वाले कदमों में शामिल हो सकते हैं:

Advertisements
  • कानूनी नोटिस भेजना।
  • संपत्ति जब्त करना।
  • क्रेडिट स्कोर खराब करना।

हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बैंक लोन न चुका पाने की स्थिति में किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता।

Also Read:
Jio Jio के 49 करोड़ यूजर्स की टेंशन दूर, 90 दिन तक चलेगा ये सस्ता रिचार्ज प्लान

लुकआउट सर्कुलर (LOC) क्या है?
लुकआउट सर्कुलर (LOC) एक कानूनी नोटिस है, जो किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। आमतौर पर यह तब जारी होता है, जब व्यक्ति पर आपराधिक आरोप हों और उसकी उपस्थिति जांच एजेंसियों या अदालत में जरूरी हो।

Advertisements

हालांकि, कई बार बैंक इसे लोन डिफॉल्ट के मामलों में भी जारी कर देते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हर लोन डिफॉल्ट के मामले में LOC जारी करना उचित नहीं है।

मामले का विवरण: कार लोन विवाद
यह फैसला एक याचिकाकर्ता के मामले पर आधारित है, जिसने दो कारों के लिए लोन लिया था:

Advertisements
Also Read:
Jio Jio के 49 करोड़ यूजर्स की टेंशन दूर, 90 दिन तक चलेगा ये सस्ता रिचार्ज प्लान
  • पहली कार के लिए ₹13 लाख।
  • दूसरी कार के लिए ₹12 लाख।

याचिकाकर्ता ने कुछ समय तक किस्तें चुकाईं, लेकिन बाद में भुगतान बंद कर दिया। इसके बाद बैंक ने नोटिस जारी किया और जवाब न मिलने पर LOC जारी कर दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर LOC रद्द करने की मांग की। उसने यह वादा किया कि वह जांच में पूरा सहयोग करेगा और हर सुनवाई में उपस्थित रहेगा।

Advertisements

हाईकोर्ट ने LOC को रद्द करते हुए कहा कि बिना किसी आपराधिक आरोप के इसे जारी करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने बैंक को निर्देश दिया कि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करे।

Also Read:
LPG Cylinder LPG गैस सिलेंडर के दाम हुए कम! अब सभी राज्यों की ताजा प्राइस लिस्ट चेक करें LPG Cylinder

मौलिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर
इस फैसले में हाईकोर्ट ने निम्नलिखित बिंदुओं को स्पष्ट किया:

  • बैंक की सीमाएं: बैंक हर लोन डिफॉल्ट के मामले में LOC जारी नहीं कर सकता।
  • कानूनी प्रक्रिया का पालन: दोषी ठहराने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी।
  • न्याय का अधिकार: बिना ठोस कारण के कार्रवाई करना अनुचित है।

लोनधारकों के लिए यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो आर्थिक संकट के कारण लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि:

  • बैंक किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता छीन नहीं सकता।
  • LOC केवल आपराधिक मामलों में जारी किया जा सकता है।
  • लोनधारकों को कानूनी नोटिस का जवाब देना और बैंक से संवाद बनाए रखना चाहिए।

ऐसी स्थिति से बचने के उपाय
अगर आप लोन ले रहे हैं या चुकाने में परेशानी हो रही है, तो निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दें:

Also Read:
7th Pay Commission नए साल में कर्मचारियों को मिलेगी खुशखबरी! DA बढ़कर होगा 57%, सैलरी बढ़कर हो जाएगी इतनी 7th Pay Commission
  1. समय पर लोन चुकाएं: अपनी आय और खर्चों का सही आकलन करें और किस्तों को समय पर चुकाने की योजना बनाएं।
  2. बैंक से संवाद करें: अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो बैंक से बातचीत करें। कई बार बैंक किस्तों में छूट या समय बढ़ाने का विकल्प देता है।
  3. कानूनी सलाह लें: अगर बैंक आपके खिलाफ कठोर कदम उठाता है, तो कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें।
  4. आपातकालीन फंड बनाएं: ऐसी स्थितियों से बचने के लिए आपातकालीन बचत फंड तैयार रखें।

फैसले का व्यापक प्रभाव
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला लोनधारकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बैंक कानून के दायरे में रहकर ही काम करें।

यह फैसला बैंक और लोनधारकों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है। जहां बैंक को अपनी वसूली प्रक्रिया में नैतिकता और कानून का पालन करना होगा, वहीं लोनधारकों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला उन लोनधारकों के लिए उम्मीद की किरण है, जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। यह फैसला न केवल उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बैंक अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करें।

Also Read:
PM Kisan 19th Installment Date पीएम किसान योजना की 19वी क़िस्त तिथि जारी PM Kisan 19th Installment Date

अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो अपने अधिकारों को समझें, सही कदम उठाएं, और जरूरत पड़ने पर कानूनी मदद लें। न्याय का अधिकार हर व्यक्ति का है, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।

Leave a Comment

Advertisements
WhatsApp Group