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क्या सेविंग अकाउंट में पैसा जमा करने से लेकर निकालने की होती है लिमिट? जानें क्या हैं नियम Income Tax Rules

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हम सभी जानते हैं कि पैसा जमा करने और निकालने के लिए बैंक एक सुविधाजनक तरीका है। बैंक सेविंग अकाउंट्स का इस्तेमाल करके हम अपने पैसे सुरक्षित रख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उसे आसानी से निकाल भी सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने सेविंग अकाउंट में कितनी नकदी रख सकते हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि भारतीय आयकर नियमों के तहत आप अपने बैंक खाते में कितनी राशि जमा कर सकते हैं और इसके लिए कौन से नियम हैं।

सेविंग अकाउंट में नकद जमा और निकासी की सीमा

आयकर नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को एक वित्तीय वर्ष में अपने सेविंग अकाउंट में कुल नकद जमा या निकासी 10 लाख रुपये से अधिक नहीं करनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि अगर आप इस सीमा को पार करते हैं, तो आयकर विभाग आपके खिलाफ नोटिस भेज सकता है। यही नहीं, आयकर विभाग की जांच से बचने के लिए आपको यह समझना बहुत जरूरी है कि बैंक में बड़े पैमाने पर नकद लेन-देन के क्या नियम हैं और इसके लिए क्या प्रक्रियाएं हैं।

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नकद लेन-देन की सीमा

एक अन्य महत्वपूर्ण नियम जो हमें ध्यान में रखना चाहिए, वह है एक दिन में नकद लेन-देन की सीमा। आयकर अधिनियम की धारा 269 ST के तहत, कोई व्यक्ति एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद का लेन-देन नहीं कर सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर आप एक दिन में 2 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा या निकालते हैं, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। इसके अलावा, अगर आप अपने बैंक अकाउंट में एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक नकद जमा करते हैं, तो बैंक को इसकी सूचना आयकर विभाग को देनी होगी, भले ही यह राशि एक या अधिक खातों में जमा की गई हो।

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बैंकों को रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी

आयकर अधिनियम की धारा 114 बी के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 10 लाख रुपये से अधिक नकद जमा राशियों की सूचना आयकर विभाग को देनी होती है। यदि आपके द्वारा एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा किए जाते हैं, तो इसे उच्च-मूल्य का लेन-देन माना जाएगा और आयकर विभाग इस पर जांच कर सकता है। इसके अलावा, यदि आप एक दिन में 50,000 रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं, तो आपको अपना पैन नंबर देना होगा। यदि आपके पास पैन नंबर नहीं है, तो आपको इसके बदले फॉर्म 60/61 जमा करना होगा।

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पैन और फॉर्म 60/61 की आवश्यकता

अगर आप एक दिन में 50,000 रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं, तो आपको अपना पैन नंबर देना जरूरी होता है। यह आयकर विभाग को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आपके द्वारा किया गया लेन-देन सही तरीके से रिकॉर्ड किया गया है और आपकी आयकर देनदारी का सही हिसाब रखा जा सके। यदि आपके पास पैन नंबर नहीं है, तो आपको इसके बदले फॉर्म 60/61 भरना होगा। फॉर्म 60/61 एक वैकल्पिक तरीका है जिसे आप अपनी पहचान और आय के स्रोत को साबित करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

उच्च-मूल्य के लेन-देन पर आयकर नोटिस

यदि आयकर विभाग को यह पता चलता है कि आपने 10 लाख रुपये से अधिक नकद जमा किया है या आपके लेन-देन की सीमा का उल्लंघन किया है, तो वे आपको एक नोटिस भेज सकते हैं। ऐसे नोटिस का जवाब देने के लिए आपको अपने पैसों के स्रोत को साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज़ दिखाने होंगे। इसके लिए आप अपने बैंक स्टेटमेंट, निवेश रिकॉर्ड या परिवार से विरासत में मिली संपत्ति के दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं। यह साबित करना जरूरी है कि आपने जो पैसे जमा किए हैं, वे वैध तरीके से अर्जित किए गए हैं और किसी तरह की टैक्स चोरी का मामला नहीं है।

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टैक्स नोटिस का जवाब कैसे दें

अगर आपको आयकर विभाग से उच्च-मूल्य वाले लेन-देन के लिए नोटिस प्राप्त होता है, तो आपको सही और स्पष्ट जवाब देना चाहिए। इस नोटिस का जवाब देने के लिए आपको अपने बैंक स्टेटमेंट, निवेश दस्तावेज़, या अन्य प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे, जो यह सिद्ध करें कि आपने जो नकद जमा किया है, वह वैध है। अगर आपके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है, तो आपको अपने लेन-देन के कारणों को स्पष्ट करने के लिए सही तरीके से बयान देना होगा।

इस लेख में हमने जाना कि भारतीय आयकर नियमों के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष में सेविंग अकाउंट में कितनी नकद राशि जमा या निकाली जा सकती है। यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो आयकर विभाग की जांच का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने नकद लेन-देन की सीमा को समझें और यदि जरूरत हो, तो सही दस्तावेज़ प्रदान करें। यह न केवल आपको आयकर विभाग से बचने में मदद करेगा, बल्कि आपकी वित्तीय स्थिति को भी सुरक्षित रखेगा।

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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। यदि आपको इस लेख के बारे में कोई सवाल हो या आप अपनी राय देना चाहते हैं, तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें।

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