Advertisement
Advertisements

लोन नहीं भरने वालों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, लोन लेने वाले जरूर जान लें अपडेट EMI Bounce

Advertisements

आज के समय में बढ़ती आर्थिक जरूरतों और अनिश्चितताओं के चलते लोन लेना एक सामान्य बात हो गई है। लेकिन कई बार लोग आर्थिक संकट के कारण समय पर लोन की किस्तें नहीं चुका पाते। ऐसी स्थिति में बैंक कठोर कदम उठाते हैं, जिससे लोनधारक मानसिक तनाव में आ जाते हैं।

हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि लोन न चुकाने की स्थिति में भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहने चाहिए। यह फैसला न केवल लोनधारकों के लिए राहत भरा है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि बैंक अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करें। आइए, इस फैसले को विस्तार से समझते हैं।

Advertisements

लोन न चुकाने पर बैंक की कार्रवाई

जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो उसे तय समय पर किस्तों का भुगतान करना होता है। अगर वह समय पर किस्तें नहीं चुका पाता, तो बैंक निम्नलिखित कदम उठा सकता है:

Also Read:
LPG Price Down एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में आई गिरावट, खुशी से झूम उठे लोग LPG Price Down
  1. कानूनी नोटिस जारी करना।
  2. संपत्ति को जब्त करना।
  3. क्रेडिट स्कोर को खराब करना।

इन कार्रवाइयों के कारण लोनधारक को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Advertisements

लुकआउट सर्कुलर (LOC) का दुरुपयोग

लुकआउट सर्कुलर (LOC) एक ऐसा नोटिस है, जिसे किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। यह आमतौर पर आपराधिक मामलों में जारी किया जाता है, जब जांच एजेंसियों को व्यक्ति की उपस्थिति जरूरी होती है।

हालांकि, कई बार बैंक इसे लोन डिफॉल्ट के मामलों में भी जारी कर देते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हर लोन डिफॉल्ट के मामले में LOC जारी करना अनुचित है और यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

Advertisements
Also Read:
RBI Guidelines RBI का बड़ा फैसला! बैंक खाते में गलती हुई तो पैसा होगा जब्त RBI Guidelines

कार लोन विवाद का मामला

यह फैसला एक ऐसे मामले पर आधारित है, जिसमें याचिकाकर्ता ने दो कारों के लिए लोन लिया था:

  • पहली कार के लिए ₹13 लाख।
  • दूसरी कार के लिए ₹12 लाख।

याचिकाकर्ता ने शुरू में किस्तों का भुगतान किया, लेकिन बाद में आर्थिक कठिनाइयों के कारण भुगतान बंद कर दिया। बैंक ने नोटिस भेजा और जवाब न मिलने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ LOC जारी कर दिया।

Advertisements

दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर LOC रद्द करने की मांग की। उसने यह भरोसा दिलाया कि वह जांच में सहयोग करेगा और हर सुनवाई में उपस्थित रहेगा।

Also Read:
Jio Jio ने फिर मचा दी हलचल, सिर्फ 49 रुपये में ग्राहकों को मिलेगी Unlimited Data की सुविधा

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए LOC को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी आपराधिक आरोप के LOC जारी करना अनुचित है और यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

मौलिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि लोन न चुकाने की स्थिति में भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहने चाहिए। कोर्ट ने निम्नलिखित बातों पर जोर दिया:

  1. बैंक की सीमाएं: बैंक हर लोन डिफॉल्ट के मामले में LOC जारी नहीं कर सकता।
  2. कानूनी प्रक्रिया: किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने से पहले उसे उचित कानूनी प्रक्रिया का सामना करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
  3. न्याय का पालन: बिना ठोस कारण के किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करना अनुचित है।

लोनधारकों के लिए यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

यह फैसला उन लोनधारकों के लिए राहत लेकर आया है, जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि:

Also Read:
Jio Jio यूजर्स को एक रीचार्ज में 12 OTTs का सब्सक्रिप्शन FREE, केवल ₹175 से शुरू
  • बैंक आपकी स्वतंत्रता को छीन नहीं सकता।
  • LOC तभी जारी हो सकती है, जब आप पर कोई आपराधिक आरोप हो।
  • लोनधारकों को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और वे बैंक से संवाद बनाए रखें।

लोन डिफॉल्ट की स्थिति से बचने के उपाय

अगर आप लोन ले रहे हैं या किस्तें चुकाने में कठिनाई हो रही है, तो इन सुझावों पर ध्यान दें:

  1. समय पर भुगतान करें: अपनी आय और खर्चों का सही आकलन कर लोन लें।
  2. बैंक से संवाद करें: अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो बैंक से बातचीत करें। बैंक किस्तों में छूट या समय बढ़ाने का विकल्प दे सकता है।
  3. कानूनी सलाह लें: अगर बैंक आपके खिलाफ कार्रवाई करता है, तो कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
  4. आपातकालीन फंड बनाएं: आर्थिक संकट से बचने के लिए आपातकालीन बचत फंड तैयार रखें।

फैसले का व्यापक प्रभाव

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला लोनधारकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बैंक अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करें और हर व्यक्ति को न्याय का अधिकार मिले।

यह फैसला बैंक और लोनधारकों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है। बैंक को अपनी वसूली प्रक्रिया में कानून और नैतिकता का पालन करना चाहिए, जबकि लोनधारकों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।

Also Read:
Today Gold Price शनिवार दोपहर को सोने की नई कीमतें जारी, जाने 24 कैरेट सोने का ताजा भाव Today Gold Price

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला उन लोनधारकों के लिए उम्मीद की किरण है, जो आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। यह न केवल उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बैंक कानून के दायरे में रहकर ही काम करें।

अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो अपने अधिकारों की जानकारी रखें, संवाद बनाए रखें, और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह लें। यह फैसला हमें यह सिखाता है कि न्याय का अधिकार हर व्यक्ति का है, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।

Also Read:
Airtel Recharge Plan एयरटेल ने की जिओ की छुट्टी! लॉन्च किये सबसे सस्ते 365 दिन के रिचार्ज प्लान्स जाने प्लान्स की पूरी जानकारी Airtel Recharge Plan

Leave a Comment

WhatsApp Group