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परमानेंट बंद होंगे ये बैंक अकाउंट, RBI ने लिया कड़ा एक्शन – RBI Action on Accounts

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भारतीय बैंकिंग प्रणाली को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करता है। हाल ही में, आरबीआई ने बैंकों को निष्क्रिय खातों की संख्या कम करने और खाताधारकों को इससे होने वाली असुविधा से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस लेख में हम निष्क्रिय खातों की समस्या, उससे जुड़े खतरे और खातों को सक्रिय करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

क्या होता है निष्क्रिय बैंक खाता?

निष्क्रिय बैंक खाते वे होते हैं जिनमें लंबे समय तक (आमतौर पर 12 से 24 महीने) कोई लेन-देन नहीं किया गया हो। इसमें न तो पैसा जमा किया जाता है, न निकाला जाता है, और न ही कोई अन्य ट्रांजेक्शन किया जाता है। ऐसे खातों को बैंक “फ्रीज” कर देता है, जिससे खाताधारक उस खाते का उपयोग नहीं कर पाते।

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निष्क्रिय खाते न केवल खाताधारक के लिए असुविधाजनक होते हैं, बल्कि बैंकिंग प्रणाली के लिए भी समस्याएं खड़ी करते हैं। इन खातों में पड़ी राशि का न तो खाताधारक और न ही बैंक कोई उपयोग कर पाता है।

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निष्क्रिय खातों की बढ़ती संख्या और आरबीआई का आदेश

हाल के वर्षों में निष्क्रिय खातों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। इस पर आरबीआई ने चिंता व्यक्त करते हुए बैंकों को निर्देश दिया है कि वे इस समस्या का समाधान निकालें। आरबीआई ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे:

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  • निष्क्रिय खातों की तिमाही रिपोर्ट तैयार करें।
  • खातों की स्थिति की निगरानी करें।
  • खाताधारकों को खाते की स्थिति के बारे में सूचित करें।

यह कदम न केवल खाताधारकों को राहत देगा, बल्कि बैंकिंग प्रणाली को भी अधिक प्रभावी बनाएगा।

निष्क्रिय खातों से जुड़े खतरे

  1. धन का ठहराव:
    निष्क्रिय खातों में जमा राशि न तो खाताधारक को लाभ पहुंचाती है और न ही बैंक इसका निवेश कर पाता है।
  2. धोखाधड़ी का खतरा:
    लंबे समय तक निष्क्रिय रहने वाले खातों में धोखाधड़ी का जोखिम बढ़ जाता है। अनधिकृत व्यक्ति यदि इस खाते की जानकारी प्राप्त कर लेता है, तो इसका दुरुपयोग कर सकता है।
  3. बैंकिंग प्रणाली पर बोझ:
    निष्क्रिय खातों की संख्या बढ़ने से बैंकों पर प्रबंधन का अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

आरबीआई के सुझाव: निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के उपाय

आरबीआई ने बैंकों को खाताधारकों की मदद से निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:

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  1. केवाईसी (KYC) प्रक्रिया को पूरा करना:
    खाताधारकों से उनकी पहचान और पते की पुष्टि के लिए केवाईसी प्रक्रिया पूरी करवाई जाए। इससे खाता सक्रिय हो जाता है।
  2. डिजिटल सुविधाओं का उपयोग:
    बैंकों को खाताधारकों को डिजिटल सेवाओं, जैसे मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, और वीडियो ग्राहक पहचान प्रक्रिया के उपयोग के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  3. शाखाओं में सहायता:
    बैंकों को अपनी शाखाओं में खाताधारकों की मदद के लिए केवाईसी प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाना चाहिए।
  4. नियमित निगरानी:
    बैंकों को निष्क्रिय खातों की नियमित निगरानी करनी चाहिए और खाताधारकों को खाता निष्क्रिय होने की स्थिति में सूचित करना चाहिए।

निष्क्रिय खाता कैसे सक्रिय करें?

यदि आपका खाता निष्क्रिय हो गया है, तो इसे सक्रिय करने के लिए आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  1. केवाईसी प्रक्रिया पूरी करें:
    अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और पते का प्रमाण जैसे दस्तावेज बैंक में जमा करें।
  2. लेन-देन करें:
    खाते को सक्रिय करने का सबसे आसान तरीका है उसमें लेन-देन करना। आप पैसे जमा, निकासी, या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर सकते हैं।
  3. बैंक शाखा जाएं:
    यदि ऑनलाइन प्रक्रिया में कठिनाई हो रही है, तो बैंक शाखा में जाकर आवश्यक जानकारी प्राप्त करें।
  4. ग्राहक सेवा से संपर्क करें:
    बैंक की ग्राहक सेवा हेल्पलाइन पर कॉल करें और खाते को सक्रिय करने की प्रक्रिया जानें।

निष्क्रिय खातों से बचने के उपाय

  1. नियमित लेन-देन करें:
    अपने खाते में समय-समय पर लेन-देन करें।
  2. सभी खातों की निगरानी करें:
    यदि आपके पास कई बैंक खाते हैं, तो उनकी नियमित रूप से जांच करें और अनावश्यक खातों को बंद कर दें।
  3. सही जानकारी अपडेट करें:
    बैंक में अपनी केवाईसी जानकारी को समय-समय पर अपडेट करें।
  4. डिजिटल सेवाओं का उपयोग करें:
    मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करें। यह न केवल समय बचाएगा, बल्कि आपके खाते को सक्रिय रखने में भी मदद करेगा।

निष्क्रिय खाते बैंकों और खाताधारकों दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं। आरबीआई के निर्देश और बैंकों द्वारा उठाए गए कदम इस समस्या को हल करने में मदद करेंगे। खाताधारकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए समय-समय पर अपने खातों की स्थिति की जांच करनी चाहिए।

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नियमित लेन-देन, केवाईसी प्रक्रिया का पालन, और डिजिटल सेवाओं का उपयोग करके आप अपने खाते को सक्रिय और सुरक्षित रख सकते हैं। इससे न केवल बैंकिंग प्रणाली को मजबूती मिलेगी, बल्कि आपका वित्तीय अनुभव भी बेहतर होगा।

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