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RBI ने बदल दिया नियम, अब पर्सनल लोन लेना हो जाएगा मुश्किल, जानें क्या बदले नियम

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पर्सनल लोन के नियमों को पहले से अधिक सख्त बना दिया है। नए नियमों के तहत, अब ऋणदाताओं को हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को उधारकर्ताओं की जानकारी रिपोर्ट करनी होगी। यह बदलाव 1 जनवरी से लागू हो चुका है और इसका मुख्य उद्देश्य उधार प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और वित्तीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है।

हर 15 दिन में क्रेडिट रिपोर्टिंग अनिवार्य
पहले, क्रेडिट ब्यूरो को उधारकर्ताओं की जानकारी महीने में एक बार रिपोर्ट की जाती थी। अब, नए नियमों के अनुसार, यह रिपोर्टिंग हर 15 दिन में करनी होगी।

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  • उद्देश्य:
    इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऋणदाताओं को उधारकर्ताओं की अद्यतन और सटीक जानकारी मिले।
  • लाभ:
    समय पर रिपोर्टिंग से उधारकर्ताओं की गतिविधियों पर नजर रखना आसान होगा और जोखिम प्रबंधन में सुधार होगा।

डेटा अपडेट में होगी सटीकता और तेजी
समान मासिक किस्तों (EMI) के अलग-अलग भुगतान तिथियों के कारण पहले डेटा अपडेट में 40 दिनों तक की देरी हो सकती थी।

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  • नए नियमों का प्रभाव:
    15-दिन की रिपोर्टिंग चक्र से यह देरी कम होगी।
  • ऋणदाताओं को फायदा:
    ऋणदाताओं को अब समय पर और सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।

अत्यधिक उधार लेने पर रोक
RBI का यह कदम अत्यधिक उधार लेने पर अंकुश लगाने के लिए भी है।

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  • ऋणदाताओं को सटीक मूल्यांकन का मौका:
    अब ऋणदाता उधारकर्ता की वित्तीय स्थिति का बेहतर मूल्यांकन कर पाएंगे।
  • उधारकर्ताओं के लिए जिम्मेदारी:
    यह नियम उधारकर्ताओं को भी उनकी क्रेडिट जिम्मेदारी समझने और अनावश्यक कर्ज लेने से बचने के लिए प्रेरित करेगा।

‘ब्लाइंड स्पॉट’ की समस्या होगी खत्म
पहले, अलग-अलग देय तिथियों पर लोन लेने वाले उधारकर्ताओं की जानकारी क्रेडिट सिस्टम में समय पर दिखाई नहीं देती थी।

  • नए नियमों का प्रभाव:
    अब सभी वित्तीय गतिविधियां 15 दिन के भीतर क्रेडिट सिस्टम में दर्ज होंगी।
  • ऋणदाताओं के लिए लाभ:
    इससे सभी प्रमुख क्रेडिट डेटा तक पहुंच संभव होगी, जो पहले नहीं हो पाती थी।

उधारकर्ताओं और ऋणदाताओं दोनों के लिए फायदेमंद
नए नियम न केवल ऋणदाताओं के लिए, बल्कि उधारकर्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे।

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  • ऋणदाताओं के लिए:
    उन्हें सटीक डेटा मिलेगा, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
  • उधारकर्ताओं के लिए:
    उनकी क्रेडिट रिपोर्ट सही और अद्यतन रहेगी, जिससे भविष्य में लोन प्रक्रिया आसान होगी।

RBI के ये नए नियम पर्सनल लोन प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। हर 15 दिन में क्रेडिट रिपोर्टिंग अनिवार्य होने से न केवल ऋणदाताओं को सही जानकारी मिलेगी, बल्कि उधारकर्ताओं की वित्तीय जिम्मेदारी भी तय होगी। यह बदलाव न केवल वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाएगा, बल्कि अत्यधिक उधार लेने पर भी प्रभावी रोक लगाएगा।

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